Monday, September 20, 2021

महिलाओं के लिए मातम से कम नहीं अजन्मे बच्चे को खोना

भारत डाॅट समाचार टाइम्स

मैं अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए बहुत उत्साहित थी। शादी के पांच साल बाद ये मेरी पहली प्रेग्नेंसी थी। बच्चे का नाम भी सोच लिया था। घर पर अकेले बैठे घंटों उससे बातें करती। एक दिन अचानक शरीर के निचले हिस्से में दर्द होने लगा। मुझे महसूस हुआ कि ब्लीडिंग की वजह से मैं पूरी तरह भीग गई हूं। पति के साथ अस्पताल गई। वहां पहुंचकर पता चला कि जिस बच्चे के जन्म के सपने देख रही थी, वो अब इस दुनिया में नहीं रहा। ये किस्सा है दिल्ली की रेखा की जिंदगी का। उनकी आवाज में अपने अजन्मे बच्चे को खोने का दर्द साफ झलकता है। ये दर्द सिर्फ एक महिला का नहीं है बल्कि 31 शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम के सर्वे की मानें तो दुनिया भर में हर साल करीब 23 मिलियन मिसकैरेज होते हैं। इनमें 50 में से एक महिला जीवन में दो बार मिसकैरेज का अनुभव करती है, जबकि एक प्रतिशत महिलाएं तीन या इससे अधिक बार। ये स्थिति मानसिक रूप से हिला देने वाली होती है। इससे न सिर्फ महिला, बल्कि उसके पार्टनर पर भी असर पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार मिसकैरेज की सटीक वजह के बारे में तो नहीं बताया जा सकता, लेकिन कुछ खास मेडिकल कंडीशन के दौरान महिला को अलर्ट रहने की जरूरत होती है।

क्या है मिसकैरेज?
जब प्रेग्‍नेंसी के 20वें सप्‍ताह से पहले ही भ्रूण नष्‍ट हो जाए तो इस स्थिति को मिसकैरेज कहा जाता है। ज्यादातर मामलों में प्रेग्‍नेंसी की पहली तिमाही में मिसकैरेज होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में कम से कम 30% प्रेग्नेंसी मिसकैरेज की वजह से खत्म हो जाती हैं। शोध पत्रिका 'लांसेट प्लानेटरी हेल्थ' के एक अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं में बढ़ते एयर पॉल्यूशन के कारण मिसकैरेज का खतरा सात फीसद तक बढ़ जाता है, जोकि भारत और पाकिस्तान में ज्यादा है।
मिसकैरेज के लक्षण

  • ब्लीडिंग
  • स्पॉटिंग
  • पेट और कमर में दर्द
  • खून के साथ टिश्यू निकलना

बता दें, प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग या स्पॉटिंग के बाद मिसकैरेज होना जरुरी नहीं है। लेकिन ऐसा होने के बाद सतर्क रहने की जरूरत है।

मिसकैरेज की वजह
थायरॉयड- प्रेग्नेंसी में थायरॉयड होने पर बहुत सतर्क रहने की जरूरत होती है, क्योंकि ये कई बार मिसकैरेज की वजह बन जाता है।
डायबिटीज - इस दौरान तमाम महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है। ऐसे में समय समय पर डॉक्टर से जांच कराना जरुरी है।
फाइब्रॉयड्स- यूटरिन फाइब्रॉयड, इम्यून डिसऑर्डर भी कई बार मिसकैरेज का कारण बन जाते हैं।
क्रोमोसोमल असामान्यता और हार्मोनल असंतुलन- भ्रूण को गलत संख्‍या में क्रोमोजोम मिलने के कारण भी मिसकैरेज के चांस बढ़ जाते हैं। वहीं, समय रहते हार्मोनल असंतुलन की स्थिति को दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है।
मिसकैरेज से रिलेशनशिप पर असर
शोध की मानें तो मिसकैरेज के बाद कपल्स के रिश्ते पर असर पड़ सकता है। ये उनके अलग होने की वजह भी बन सकता है और करीब भी ला सकता है। ये सब इस बात पर डिपेंड करता है कि वे कैसे एक-दूसरे को संभालते हैं। साइकॉलोजिस्ट डॉ. नेहा गर्ग बताती हैं कि किसी महिला को अचानक जब पता चले कि उनके गर्भ में पल रहा बच्चा दुनिया में आने से पहले ही चल बसा तो इस दुख को बर्दाश्त करना बेहद मुश्किल होता है। इसे लेकर कई महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण तीन साल तक दिखाई देते हैं। ऐसे में इस डिप्रेशन से बाहर निकलना बहुत जरूरी है। अगर आप और आपके पार्टनर की मिसकैरेज पर अलग-अलग सोच है, तो आप अपने रिश्ते में अकेला महसूस कर सकते हैं। यहां तक​ कि ये सोचने लग जाते हैं कि क्या आपको एक साथ होना चाहिए। ऐसे में ये जरुर याद रखें कि मिसकैरेज किसी भी महिला के साथ हो सकता है। एक दूसरे को समझना जरुरी है।

मिसकैरेज के बाद कपल्स रिश्ते को ऐसे संभालें

  • अपनी फीलिंग शेयर करें- मिसकैरेज के बाद कपल्स के अनुभवों को लेकर अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं के पार्टनर फीलिंग और अनुभवों को एक दूसरे से साझा करते हैं वे पर्सनली और फिजिकली उनके करीब महसूस करती हैं। दुख बांटने के अनुभव उन्हें ज्यादा पास ले आते हैं।
  • एक दूसरे का सहारा बनें- अगर आपको लगता है कि आपका पार्टनर पूरी तरह से ठीक है तो इसका मतलब ये न समझें कि उसे दुख नहीं है। हमेशा एक-दूसरे को सपोर्ट करें।
  • मिसकैरेज होना किसी की गलती नहीं है। एक-दूसरे पर दोष डालने से कपल्स के बीच केवल दरार पैदा होती है इसलिए दोष देने से बचें।
  • ऐसे कपल्स से बात करें, जो मिसकैरेज का दर्द झेल चुके हैं। अगर फिर भी डिप्रेशन महसूस करते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें सकते हैं।

महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान

  • मिसकैरेज के बाद शरीर में खून की कमी हो जाती है, इसलिए आयरन और विटामिन युक्त फलों और सब्जियों का सेवन जरूरी है।
  • कम से कम दो सप्ताह तक आराम करें।
  • भोजन में दाल, दूध और पनीर जैसी प्रोटीन और कैल्शियम वाली चीजों की मात्रा बढ़ा दें।
  • प्रेग्नेंसी के बारे में पढ़ें। डॉक्टरों और पहले मां बन चुकी महिलाओं से बात करें।

मिसकैरेज के बाद कब हो दूसरी प्रेग्नेंसी
मिसकैरेज और दूसरी प्रेग्नेंसी में कम से कम तीन या चार महीने का अंतर रखने की सलाह दी जाती है। इससे पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर कपल्स दोनों में से किसी एक को भी एल्कोहॉल या स्मोकिंग की आदत है तो इससे दूर रहें। इससे मिसकैरेज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। कंसीव करने से पहले आरएच फैक्टर, ब्लड शुगर, थायरॉयड, हेपेटाइटिस की जांच करवा लें। जंक फूड से दूर रहें। प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। सभी गाइडलाइन का पालन करते हुए अपनी प्रेग्नेंसी को स्वस्थ और खुशनुमा बनाएं।
ये बॉलीवुड एक्ट्रेसेस झेल चुकी हैं मिसकैरेज का दर्द

  • शिल्पा शेट्टी​​​
  • काजोल
  • कश्मीरा शाह
  • सायरा बानो
  • गौरी खान
  • रश्मि देसाई​​​​

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